उत्तराखंड ऊँचे हिमालय पर्वतों (Uttarakhand A hill state of India) से घिरा उत्तर भारत का ऐसा राज्य है जो अपने हिंदू तीर्थों स्थलों के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य की स्थापना, दिनांक 9 नवम्बर 2000 को भारत के 27वे राज्य के रूप में हुई | इससे पहले यह उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा था।
उत्तराखंड (Uttarakhand) का उल्लेख प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में केदारखंड, मानसखंड और हिमवंत के रूप में हुआ है। इसके पवित्र हिन्दू देवी देवताओ के स्थलों और तीर्थस्थलों के कारण इसे देवताओं की भूमि – ‘देवभूमि’ (Devbhoomi) भी कहा जाता है। उत्तराखंड (Uttarakhand) के पर्वतीय क्षेत्र पर्यटकों व तीर्थयात्रियों को निर्मल प्राकृतिक दृश्य प्रदान करते हैं और यहाँ की खूबसूरत जगह अपने प्राकृतिक परिवेश के लिए जानी जाती है।
उत्तराखंड राज्य का गठन (Formation of Uttarakhand A hill state of India)
उत्तराखंड (Uttarakhand) भारत का 27वां और हिमालयी क्षेत्र का 10वां राज्य है। हिमालय पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित, यह मुख्य रूप से एक पहाड़ी राज्य है। वर्तमान उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य पहले आगरा और अवध संयुक्त प्रांत का हिस्सा था। यह प्रांत 1902 में अस्तित्व में आया। सन 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्त प्रांत कहा जाने लगा। जनवरी 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम ‘उत्तर प्रदेश’ रखा गया। 9 नवंबर, 2000 को भारत का 27वां राज्य बनने से पूर्व तक उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा बना रहा।
सन 2000 से 2006 तक यह उत्तरांचल (uttaranchal) के नाम से जाना जाता था। जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उत्तरांचल राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड (अर्थात उत्तर का एक हिस्सा या खंड) कर दिया गया। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है।
राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। वैदिक पुराणों में भी उत्तराखंड का उल्लेख मिलता हैं। हिन्दू शास्त्रों में उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ को मानसखंड और गढ़वाल को केदारखंड के नाम से दर्शाया गया है। पुरातत्व सबूतों के आधार पर यह पता चला है की प्राचीन काल से ही उत्तराखंड में मानवों का वास रहा है।
उत्तराखंड राज्य को दो मंडलो में बांटा गया है एक गढ़वाल (Garhwal) मंडल और दूसरा कुमाऊँ (Kumaun) मंडल। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून जो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा शहर और एक जिला भी है जो की गढ़वाल मंडल में आता है और उत्तराखंड की ग्रीष्पकालीन राजधानी “गैरसैंण’ है, जो कि चमोली जिले में स्थित है।
उत्तराखंड का इतिहास (History of Uttrakhand)
उत्तराखण्ड का इतिहास पौराणिक ग्रंथो में भी मिलता है। उत्तराखण्ड का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू भाग (उत्तर + खंड) का रूपान्तर है। इस नाम का उल्लेख प्रारम्भिक हिन्दू ग्रन्थों में मिलता है, जहाँ पर केदारखण्ड (वर्तमान गढ़वाल) और मानसखण्ड (वर्तमान कुमांऊँ) के रूप में इसका उल्लेख है। स्कन्द पुराण में हिमालय को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है हिमालय क्षेत्र में नेपाल, कुर्मांचल (कुमाऊँ), केदारखण्ड (गढ़वाल), जालन्धर (हिमाचल प्रदेश) और सुरम्य कश्मीर पाँच खण्ड है। जिनमें से दो खंड कुर्मांचल (कुमाऊँ) ओट केदारखण्ड (गढ़वाल) उत्तराखंड में ही स्थित है।
पौराणिक ग्रन्थों में कुर्मांचल (कुमाऊँ) का क्षेत्र मानसखण्ड के नाम से प्रसिद्व था। उत्तरी हिमालय में सिद्ध गन्धर्व, यक्ष, किन्नर जातियों की सृष्टि और इस सृष्टि के राजा कुबेर बताया गया हैं। कुबेर की राजधानी अलकापुरी (बद्रीनाथ से ऊपर) बतायी जाती है। पुराणों के अनुसार राजा कुबेर के राज्य में आश्रम में ऋषि-मुनि तप व साधना करते थे। इतिहासकारों के अनुसार हूण, शक, नाग, खस आदि जातियाँ भी हिमालय क्षेत्र में निवास करती थी। पौराणिक ग्रन्थों में केदार खण्ड व मानस खण्ड के नाम से इस क्षेत्र का व्यापक उल्लेख है। इस क्षेत्र को देवभूमि (अर्थात देवताओं कि भूमि) व तपोभूमि (अर्थात ऋषि मुनियों की तपस्थली) माना गया है।
उत्तराखंड की भौगोलिक सरंचना (Geographical structure of Uttarakhand)
9 नवम्बर 2000 को भारत के 27वे राज्य के रूप उत्तराखंड उत्तरप्रदेश राज्य से अलग हुआ जिसका क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी है। जिसमें से 46035 वर्ग किमी पर्वतीय है और 7448 वर्ग किमी मैदानी क्षेत्रफल है। उत्तराखंड की भौगोलिक सरंचना उत्तरी अक्षांश: 28°43′ N to 31°27′ N (North Latitudes) और पूर्वी देशान्तर रेखांश 77 °34’ E से 81°02’ इ पर स्थित है।
हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तराखंड राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं उत्तर में चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमालय प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य की सीमाएं मिलते है।
उत्तराखंड की भाषाएँ (Languages of Uttarakhand)
उत्तराखंड में गढ़वाली और कुमाऊँनी दो प्रमुख क्षेत्रीय भाषाएं है, शायद ही बहुत कम लोग ही जानते होगें कि यहां पर सबसे अधिक हिन्दी भाषा ही बोली जाती है। उत्तराखंड में दो मंडल हैं, एक गढ़वाल और दूसरा कुमांऊ इन दोनों की अपनी अलग-अलग भाषाएं हैं उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में भी अलग-अलग बोलियां बोली जाती है, और ठीक इसी तरह कुमाऊं में भी बोली जाती है। उत्तराखंड में मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्रों में कुल 13 भाषाएं बोली जाती है और मैदानी इलाकों में ज्यादातर हिंदी भाषा का बोल बाला है। इन 13 भाषाओं में गढ़वाली, कुमांउनी, जौनसारी, जौनपुरी, जोहारी, रवांल्टी, बंगाड़ी, मार्च्छा, राजी, जाड़, रंग ल्वू, बुक्साणी और थारू शामिल है।
बहुत कम ही लोग जानते है उत्तराखंड भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है जिसकी आधिकारिक भाषा संस्कृत है। उत्तराखंड राज्य में प्रमुखतः हिंदी भाषा बोली जाती है ये भी आधिकारिक भाषा है। मध्य पहाड़ी की दो बोलियाँ कुमाऊँनी और गढ़वाली, क्रमशः कुमाऊँ और गढ़वाल में बोली जाती हैं। जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियाँ, जनजाति समुदायों द्वारा क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं। लेकिन हिन्दी पूरे प्रदेश में बोली और समझी जाती है और नगरीय जनसंख्या अधिकतर हिन्दी भाषा ही बोलती है।
उत्तराखंड में मण्डल और जिले (Divisions and Districts in Uttarakhand)
उत्तराखंड राज्य दो मंडल गढ़वाल और कुमाऊं जिनमें 13 जिले मौजूद है। कुमाऊं मंडल में 6 जिले अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़, उधम सिंह नगर और गढ़वाल मंडल में 7 जिले चमोली, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal), रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी जिले मौजूद है।
गढ़वाल मंडल (Garhwal Division) | कुमाऊं मंडल (Kumaon Division) |
चमोली | अल्मोड़ा |
देहरादून (Dehradun) | बागेश्वर |
हरिद्वार | चम्पावत |
पौड़ी गढ़वाल | नैनीताल (Nainital) |
रुद्रप्रयाग | पिथौरागढ़ |
टिहरी गढ़वाल | उधम सिंह नगर |
उत्तरकाशी |
उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत (Culture and heritage of Uttarakhand)
उत्तराखंड को प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। हिमालय की बर्फीली चोटियाँ, असंख्य झीलें, हरी-भरी हरियाली बुग्याल क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को निहारती है। उत्तराखंड के ग्लेशियर गंगा और यमुना जैसी नदियों का उदय स्थान है।
उत्तराखण्ड की संस्कृति प्रदेश के प्राकिर्तिक मौसम और जलवायु के अनुरूप ही ढला हुआ है। उत्तराखण्ड एक पहाड़ी राज्य है और इसलिए यहाँ सालभर मौसम बदलता रहता है। इसी बदलवाई मौसम के आसपास ही उत्तराखण्ड की संस्कृति के सभी पहलू जैसे यहाँ के लोगों का रहन-सहन, वेशभूषा, लोक कलाएँ इत्यादि घूमते हैं। उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को कुमाऊँनी या गढ़वाली कहा जाता है जो प्रदेश के दो मण्डलों कुमाऊँ और गढ़वाल में रहते हैं।
देवभूमी कहे जाने वाले उत्तराखण्ड राज्य की गौरवमयी लोक पारम्परिक एवं पौराणिक अध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत पुरे भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपना अलग स्थान रखती हैा पौराणिककाल से यह भूमि भारती दर्शन, चिंतन, मनन, अध्यात्म, साधना तथा धर्म एवं संस्कृति का केन्द्र रहा है, पवित्र गंगा-यमुना के उदगम स्थल तथा मनीषियों एवं ऋषियों की तपस्थली, वेदपुराणों के रचना केन्द्र, देवभूमि के नाम से ख्याति प्राप्त इस क्षेत्र को विशेष महत्व दिया गया है, धर्म और दर्शन के साथ-साथ यहां के साहित्य, कला एवं संस्कृति से जुडे हर पहलुओं ने भी सहस्त्र वर्षों से भारतीय संस्कृति को परिष्कृत किया है।
उत्तराखंड राज्य के महत्वपूर्ण जानकारी (Important information of Uttarakhand state)
- उत्तराखंड की स्थापना – 9 नवम्बर, 2000 (4 जनवरी 2007 से पूर्व उत्तरांचल / भारतीय गणतंत्र का 27वां राज्य)
- उत्तराखंड का उपनाम – देवभूमि
- उत्तराखंड की राजधानी – देहरादून (ग्रीष्मकालीन राजधानी ‘गैरसैंण” यह चमोली जिले में स्थित है)
- उत्तराखंड का क्षेत्रफल – 53,483 वर्ग किलोमीटर
- भारत के कुल क्षेत्रफल का – 7.69%
- क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के सभी राज्यों के बीच उत्तराखंड का स्थान – 38 वां
- उत्तराखंड का हाई कोर्ट स्थित है – नैनीताल में
- राजकीय आधिकारिक भाषा – हिंदी, संस्कृत (जनवरी 2010 से)
- राजकीय चिन्ह – एक गोलाकार मुद्रा में तीन पर्वत चोटियां और उसके नीचे गंगा की चार लहरों अंकित है। बीच की चोटी में अशोक का लाट अंकित है।
- राजकीय पशु – कस्तूरी मृग (हिमालयन मस्क डियर)
- राजकीय पक्षी – मोनाल
- राज्य तितली – कॉमन पीकॉक (2016 में घोषित)
- राजकीय वृक्ष – बुरांश
- राजकीय पुष्प – ब्रह्म कमल
- राजकीय वाद्य – ढोल (2015 में घोषित)
- राजकीय खेल – फुटबॉल (2011 में घोषित)
- राजकीय गीत – “उत्तराखंड देवभूमि, मातृभूमि, शत-शत वंदन अभिनंदन” (फरवरी 2016 में घोषित हेमंत बिष्ट द्वारा लिखित, स्वर दिये लोकप्रिय नरेंद्र सिंह नेगी ने)
- उत्तराखंड की आधिकारिक वेबसाइट – Uttarakhand Gov