ऋषिकेश (Rishikesh) उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में देहरादून जिले का पवित्र तीर्थस्थल शहर हैं। ऋषिकेश (Rishikesh) को गढ़वाल हिमालय का प्रवेशद्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी (Yoga Capital of the World) कहा जाता हैं। ऋषिकेश, चंद्रभागा और गंगा के संगम पर और तीन तरफ पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है। हरिद्वार से लगभग 22 किमी उत्तर में तथा देहरादून से लगभग 47 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है और समुद्र तल से 1360 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है।
ऋषिकेश (Rishikesh) के बारे में कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि देवताओं मंथन के दौरान जो विष निकला, उसे शिव ने इसी स्थान पर पिया था। मान्यता यह भी है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान कुछ समय यहां बिताया था।
भाग-दौड़ भरी जिंदगी में सुकून के कुछ पल चुराना कोई अनमोल खजाना हाथ लगने जैसा है। घूमने – फिरने से शहर के साथ-साथ दिमाग भी तरोताजा बना रहता है। नदियां, पहाड़ और जंगल हम सभी को बहुत पसंद है। धार्मिक स्थानों की यात्रा हम सभी के मन को सुकून देती हैं, पर बात करे भारत के हिमालयी राज्य उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों में गंगा किनारे बसा ऋषिकेश शहर केवल भारतीयों का पसंदीदा नहीं, अपितु यहाँ विदेशो से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते है।
ऋषिकेश (Rishikesh) की वादियों में जहाँ सुन्दर पहाड़ियों में खेलती गंगा की लहरें मन को मोह लेती हैं, जहाँ की वायु मन को चित को शांत कर देती है, जहाँ गंगा माँ स्वयं साक्षी बन के वातावरण की पवित्रता को बनाये हुई हैं।
ऋषिकेश (Rishikesh) भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना इस शहर को आर्थिक मजबूती भी प्रदान करता है। इसे हिमालय का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। यहीं पर गंगा पर्वतों की गोद से निकलकर मैदान का रास्ता लेती हैं।
ऋषिकेश के पौराणकि कथन (Mythology of Rishikesh)
ऋषिकेश पौराणकि समय से एक ही एक आध्यात्मिक केंद्र रहा है। इसे ऋषि मुनियों की तपस्थली भी कहा जाता हैं। ऋषिकेश (Rishikesh) के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जो विष निकला, उसे भगवान शिव जी ने इसी स्थान पर पिया था।
एक अन्य किवदंतियो के अनुसार यह भी कहा जाता है कि भगवान राम जी ने अपने बनवास काल के दौरान कुछ समय यहां बिताया था। यह भी कहा जाता है कि ऋषि रैभ्य ने यहाँ कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान हृषीकेश के रूप में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को हृषीकेश उच्चारण में “ऋषिकेश” नाम से जाना जाता है।
ऋषिकेश अपने आश्रमों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ कईं दर्शनीय आश्रम हैं, जो मन को मोह लेते हैं। हर साल यहां बड़ी संख्या में तीर्थयात्री मन को शांति के लिए यहां आते हैं। बशिष्ठ गुफा, लक्ष्मण झूला और नीलकंठ मंदिर आदि ऋषिकेश के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। लक्ष्मण झूला देखने के लिए दुनिया के कोने- कोने से पर्यटक आते हैं। ऋषिकेश को योग की राजधानी (Rishikesh Yoga Capital of the World) कहा जाता है।
ऋषिकेश (Rishikesh) कानूनन एक शाकाहारी शहर है, साथ ही यहाँ शराब मुक्त शहर भी है। ऋषिकेश में दुकानदारों और विक्रेताओं द्वारा प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर भी प्रतिबंध है।
चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार ऋषिकेश (Gateway of Chardham Yatra Rishikesh)
इसे केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान लक्ष्मण जी ने गंगा नदी को पार करने के लिए एक पुल बनाया था, जिसे लक्ष्मण झूला के नाम से जाना जाता है। हवा में लटका हुआ यह झूला पर्यटकों के आकर्षण का केद्र है। लक्ष्मण झूला पर खड़े होकर गंगा की तेज धारा और आसपास के खूबसूरत नजारों को देखना एक विलक्षण अनुभव है।
लक्ष्मण झले के पास ही राम झूला और रघुनाथ मंदिर हैं मान्यता है कि यहां पर भगवान राम जी ने तपस्या की थी। शाम के समय त्रिवेणी घाट पर होने वालो आरती का नजारा बेहद खूबसूरत होता है। उस समय यहां का दृश्य ऐसा होता है, जिसे देखने के लिए शायद देवता भी तस्सते होंगे। आरती के समय पानी में पड़ती सैकड़ों दीयों की परछाई देखकर लगता है, जैसे आसमान के सितारे आकर गंगा की गोद में सो गए हों।
धरती पर ऋषिकेश (Rishikesh) से अदभुत जगह दूसरी कोई नहीं लगती। यहां मन को बड़ा सुकून मिलता है। यहां की हवाओं में मंदिरो को घंटियां और पुजारियों के मंत्र गूंजते रहते हैं। चारों तरफ से आती भजन और कीर्तनों की आवाजें रोम- रोम को पुलकित कर देती हैं। यहां स्थित ‘नीलकंठ महादेव मंदिर की बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष पिया था।
मोहनचट्टी और फूलचटटी जैसे जगहें आपको अपनी खूबसूरती से लाजबाब कर देंगे। गीता भवन, बशिष्ठ गुफा, भरत मंदिर और कैलाश निकेतन मंदिर यहां के अन्य प्रसिद्ध स्थान हैं। यहां की पहाड़ियां अपने दुर्लभ पेड़-पौधों और वन्यजीवों के लिए मशहूर हैं। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।
योग नगरी /दुनिया की योग राजधानी ऋषिकेश (Yoga city / Yoga capital of the world Rishikesh)
अगर आप योग सीखने में आपकी दिलचस्पी है तो फिर ऋषिकेश (Rishikesh) में कई योग और ध्यान केंद्र आपको मिल जाएंगे। इनमें प्रमुख हैं, शिवनन्दा आश्रम, ओंकारनन्दा गंगा सदन, साधना मंदिर, संस्कृति योग पीठ ,योग निकेतन, स्वामी दया नंदा आश्रम, फूल चट्टी आश्रम, अनंदा प्रकाश आश्रम और ओशो गंगा आश्रम, कैलाश आश्रम ब्रह्माविद्यापीठ, विट्ठल आश्रम और योग केंद्र, वनमाली गीता योगाश्रम, वेदांत आश्रम, वेदनिकेतन दयानंद, वानप्रस्थ आश्रम, योग निकेतन, परमार्थ निकेतन आदि।
ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन में ठहरने के उचित व्यवस्था रहते हैं. तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिये 1000 कमरों के साथ परमार्थ निकेतन ऋषिकेश का सबसे बड़ा आश्रम है। ठहरने की सुविधाओं के अलावा परमार्थ निकेतन आयुर्वेदिक और संगीत द्वारा भी उपचार करता है। यह गंगा नदी के तट पर महान हिमालय के बीच स्थित है। यहाँ शांति प्रिय दृश्य देखने को और महसूूस करने को मिलता है।
ऋषिकेश घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time To Visit Rishikesh )
गंगा किनारे बसे खूबसूरत शहर ऋषिकेश पूरे वर्ष भर मनोरम दृश्य के लिए प्रस्तुत रहता है। वह यहाँ की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार का है, लेकिन ऊँचे पहाड़ियों से घिरा इसका स्थान इसे पूरे साल एक सुखद मौसम देता है। वर्ष के किसी भी समय ऋषिकेश जा सकते हैं।
रिवर राफ्टिंग करने के लिए ऋषिकेश जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर के अंत से अक्टूबर – मध्य नवंबर तक है और ऋषिकेश घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च के शुरू से – अप्रैल से मई के सप्ताह तक है। हालाँकि ऋषिकेश जाने का सही समय फरवरी, मार्च, अगस्त-अक्टूबर होता हैं। मई जून के माह में ऋषिकेश का तापमान काफी गर्म रहते हैं जोकि लगभग 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता हैं।
जुलाई माह में ऋषिकेश में प्र्त्येक वर्ष की तरह सावन शुरू हो जाते है यहाँ हजारों लोग कावड़ यात्रा से ऋषिकेश में आते हैं। बहुत भीड़ भाड़ होने के कारण प्रमुख सड़कें अवरुद्ध रहते हैं उस दौरान ऋषिकेश की यात्रा करने से बचना बेहतर है।
रिवर राफ्टिंग करने के लिए ऋषिकेश जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर के अंत से अक्टूबर – मध्य नवंबर तक है और ऋषिकेश घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च के शुरू से – अप्रैल से मई के सप्ताह तक है।
ऋषिकेश किसी पहुंचे (How To Reach Rishikesh)
ऋषिकेश (Rishikesh) सड़क मार्ग, रेलवे मार्ग और हवाई मार्ग द्वारा दिल्ली, मुम्बई, कोटद्वार (Kotdwar), हरिद्वार और देहरादून आदि, भारत के महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, देहरादून और हरिद्वार जैसे आसपास के शहरों से नियमित बस सेवाएं ऋषिकेश के लिए सड़क मार्ग दवार जुड़े है यहाँ से नियमित बसें, प्राइवेट टेक्सी व अन्य वाहन उपलप्ध रहते है।
ऋषिकेश (Rishikesh) से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित देहरादून का जॉली ग्रान्ट हवाईअड्डा यहाँ के लिये निकटतम हवाईअड्डा है। यह हवाईअड्डा दिल्ली के इन्दिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से जुड़ा हुआ है।
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