Lama Tekri Harsil Ghati (लामा टेकरी हर्षिल घाटी) उत्तराखंड का सबसे खूबसूरत पर्यटन में शुमार हर्षिल (Harsil Ghati)) कस्बे के पास स्थित लामा टेकरी (Lama Tekri) की अद्भुद खड़ी पहाड़ी अभी भी पर्यटकों की पहुंच से दूर है। हर्षिल (Harsil) आने वाला हर पर्यटक लामा टेकरी (Lama Tekri) की खूबसूरती को निहारता तो है, लेकिन पर्यटन मानचित्र में इसका उल्लेख न होने और हर्षिल में भी कोई खास जानकारी होने के कारण वह इस पहाड़ी पर चहलकदमी नहीं कर पाता। जबकि, इस खूबसूरत पहाड़ लामा टेकरी (Lama Tekri) पर जाने के लिए बगोरी जाड़ भोटिया समुदाय के ग्रामीणों ने बाकयदा रास्ता बनाया हुआ है। साथ ही वह लामा टेकरी (Lama Tekri) के इस पहाड़ी के शिखर पर वे पूजा-अर्चना रने के साथ झंडे भी लगाते हैं।
Lama Tekri A Hill Of Harsil Ghati (लामा टेकरी हर्षिल घाटी की एक पहाड़ी)
लामा टेकरी (Lama Tekri) पहुंचकर इतना सुकून मिलता है कि जो रास्तेभर की थकान पलभर में काफूर हो जाती है। लामा टेकरी में खड़ा होकर अगर हर्षिल घाटी (Harsil Ghati) कस्बे को देखना है तो अपने पांवों की ओर देखना पड़ता है। तब जाकर नीचे हर्षिल (Harsil) और बगोरी का सुंदर नजारा दिखता है। जबकि, हर्षिल से लामा टेकरी को निहारने के लिए सीधे आसमान की ओर देखना पड़ता है। यानी हर्षिल के ठीक 90 डिग्री के कोण पर लामा टेकरी की खड़ी पहाड़ी है।
लामा टेकरी (Lama Tekri) से हर्षिल घाटी (Harsil Ghati) के बीचोंबीच होकर बह रही भागीरथी की सर्पीली धारा से लेकर हिमालय की गगन चूमती सुदर्शन, बंदरपुंछ, सुमेरू व श्रीकंठ चोटियों का दीदार भी होता है।
19वीं सदी में हर्षिल को असली पहचान दिलाने वाले ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी फ्रेंडरिक विल्सन के रिश्तेदार 75-वर्षीय बालम दास कहते हैं कि लामा टेकरी (Lama Tekri) हर्षिल का शीश मुकुट है।
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अगर इस पर्यटक स्थल को पर्यटन विभाग कुछ प्रचारित-प्रसारित करे तो हर्षिल आने वाला हर पर्यटक लामा टेकरी जाना चाहेगा। वे कहते हैं कि जाड़ व भोटिया समुदाय के लोग पहले से ही लामा टेकरी (Lama Tekri) की पहाड़ी पर पूजा-अर्चना करते आए हैं। लेकिन, इसे लामा टेकरी नाम साठ के दशक में भारतीय सेना ने दिया था।
Lama Tekri Harsil Ghati How To Reach ( लामा टेकरी हर्षिल घाटी कैसे पहुंचे)
हर्षिल के पास से ही लामा टेकरी जाने के लिए दो रास्ते हैं। पहला रास्ता कंकण गंगा पुल के पास से जाता है।, दूसरा जलंध्री नदी पुल के पाससे। हालांकि, दोनों रास्ते कुछ ही दूरी पर आपस में मिल जाते हैं। देवदार के घनेल के बीच से गुजरते कैंचीनुमा रास्ते पर कई सुंदर स्थल हैं, जहां से हर्षिल घाटी की सुंदरता देखते ही बनती है। रास्ते में कई स्थानों पर सेना के खंडहर पड़े बंकर भी मिलते हैं। लामा टेकरी (Lama Tekri) के निकट भेड़ पालकों के ठिकाने भी नजर आते हैं।
Beauty Of Nature Scattered In Harsil Ghati (हर्षिल घाटी में बिखरी है प्रकृति की खूबसूरती)
गंगोत्री धाम की यात्रा पर आए हैं, तो हर्षिल (Harsil) में ठहर कर प्रकृति का लुत्फ उठाने से वंचित न रहें। हिमाच्छादित चोटियों का नजारा और सेब बागानों के बीच एक दर्जन से अधिक धाराओं में बंटकर जालंधरी व ककोड़ागाड का गंगा भागीरथी के साथ संगम बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। बगोरी गांव में भोटिया समुदाय की संस्कृति की झलक पाने के साथ ही हस्त निर्मित ऊनी वस्त्र भी खरीद सकते हैं।
पुराणों के अनुसार जालंधर की पत्नी वृंदा के श्राप से भगवान विष्णु यहां शिला रूप में परिवर्तित हो गए थे। यहां लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास गंगा भागीरथी में उस शिला के दर्शन भी किए जा सकते हैं और इसी वजह से इस स्थान का हरि शिला और अब हर्षिल ((Harsil Ghati)) पड़ा। हिमाचल सीमा से लगे ग्लेशियरों से निकलती जालंधरी नदी हर्षिल ((Harsil Ghati)) से पहले खूबसूरत झरनों और बाद में सेब बागानों के बीच एक दर्जन से अधिक धाराओं में बंटकर गंगा भागीरथी से संगम करती है।
Lama Tekri Harsil Ghati A Beautiful Destination (लामा टेकरी हर्षिल घाटी एक खूबसूरत गंतव्य)
हर्षिल (Harsil) से लगे जाड भोटिया समुदाय के बगोरी गांव में बौद्ध मंदिर तथा प्राचीन स्थापत्य कला को सहेजे लकड़ी के भवन आकर्षित करते हैं। गंगा का शीतकालीन प्रवास मुखबा, धराली व छोलमी भी चंद कदमों की दूरी पर होने से श्रद्धालु यहां गंगा मंदिर, कल्प केदार व पंचमुखी महादेव मंदिर दर्शन का पुण्य लाभ भी अर्जित कर सकते हैं।
मिनी स्विट्जरलैंड है हर्षिल
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 75 किमी दूर स्थित हर्षिल कस्बे (Harsil Ghati) को उत्तराखंड का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। यहां की खूबसूरत वादियां, देवदार के घने जंगल, चारों ओर बिखरा बेसुमार सौंदर्य, रंग-बिरंगे खिलखिलाते फूल, ऊँचे ऊँचे हिमाच्छादित चोटियां और पहाड़ों निकल रहे हिमनदों के बीच शांत बह रही भागीरथी (गंगा) का देखने लायक होता है।