दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार (Durga Devi Temple Kotdwar) उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार शहर में स्थित एक प्राचीन पौराणिक एवम् लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है और जो की देवी दुर्गा माता जी को समर्पित है, दुर्गा देवी मंदिर को प्राचीनतम सिद्धपिठों में से एक माना जाता है।
दुर्गा देवी मंदिर, कोटद्वार (Durga Devi Temple Kotdwar) शहर से लगभग 13 कि.मी. और लैंसडाउन से 28 किमी की दुरी पर समुद्रतल की सतह से लगभग 600 मीटर की ऊँचाई पर कोटद्वार दुग्गड़ा सड़क मार्ग पर स्थित है और यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित कोटद्वार शहर जिसे गढ़वाल का प्रवेश दवार भी कहा जाता है, में पूजा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥अर्थात, जब भी मैं समस्याओं में डूबता हूँ, मैं आपका स्मरण करता हूँ। यह मेरी सच्ची भावना है, कोई झूठ नहीं।
क्योंकि, अगर कोई बालक भूखा और प्यासा हो, तो वह अपनी माता का ही स्मरण करता है।
दुर्गा देवी मंदिर की लोकमान्यताएँ (Popularity of Durga Devi Temple Kotdwar)
यूं तो पूरे भारत देश में ऐसे कई मंदिर हैं। जिनके पीछे कई सालों पुराना रहस्य छुपा है। कुछ रहस्य आज भी बरकरार है तो कई रहस्य ऐसे हैं जिन्हें जानने के बाद वैज्ञानिक भी हैरान रहते है। भारत में ऐसे कई मंदिर है जहां अद्भुत घटनाएं होती हैं। इन घटनाओं पर लोगों की आस्था है। लोगों का मानना है कि, ऐसी जगह पर भगवान विराजमान है।
दुर्गा देवी मंदिर (Durga Devi Temple Kotdwar) का आधुनिक मन्दिर राष्ट्रीय राजमार्ग 534 सड़क किनारे पर पास में स्थित है। देवी दुर्गा माता का प्राचीन मंदिर आधुनिक मंदिर से थोड़ा नीचे एक 12 फीट लम्बी गुफा में स्थित है, जिसमें भगवान शिव जी का एक शिवलिंग भी स्थापित है | मंदिर में देवी माँ के चट्टानों से उभरी एक प्रतिमा है और अन्दर एक ज्योति है, जो कि सदैव जली रहती है |
Kotdwar A Gateway Of Garhwal
मां दुर्गा के दर्शन करने आता है शेर
मां दुर्गा देवी का यह मंदिर पहाड़ियों के बीच स्थित है। जो मुख्य सड़क मार्ग पर ही है। चारों तरफ हरे-भरे जंगल और बड़े-बड़े ऊँचे पहाड़ इस मंदिर की सुदंरता बढ़ाते हैं। तो वहीं मंदिर के नीचे बहती खो नदी की आवाज लोगों को काफी आकर्षित करती है।
इस मंदिर में आकर प्रकृति के करीब होने का अहसास होता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहाँ नवरात्रों में माँ दुर्गा का वाहन “सिंह या शेर” मंदिर में आकर देवी दुर्गा के दर्शन करके शांत भाव से लौट जाता है।
स्थानिया लोगों के अनुसार दुर्गा देवी मंदिर (Durga Devi Temple Kotdwar) के निर्माण में कहा जाता है, कि मंदिर प्राचीन समय में बहुत छोटे आकर में हुआ करता था किन्तु दुगड्डा-कोटद्वार के बीच सड़क निर्माण कार्य में व्यवधान आने पर ठेकेदार द्वारा भव्य मंदिर की स्थापना की गई तो कार्य तेजी से संपन्न हुआ।
दुर्गा देवी मंदिर के आस-पास कई छोटे-छोटे झरने हैं और पहाड़ियों का जंगल इस जगह को और भी शानदार बनाता है। मां दुर्गा के मंदिर में एक गुफा भी है जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि, ये गुफा जंगल की तरफ जाती है। हालांकि, इस गुफा के अंदर एक ज्योत भी है जो हमेशा जलती रहती है।
चैत्रीय व शारदीय नवरात्र पर मंदिर में भक्तों या श्रद्धालु की भीड़ लगी रहती है श्रावण मास के सोमवार और शिवरात्रि को बड़ी संख्यां में शिवभक्त यहां भगवान शिवजी का जलाभिषेक करने आते हैं ।
कोटद्वार के प्रमुख सिद्धपीठ मंदिर (Major Siddhpeeth Temple of Kotdwar)
सुखरो देवी मंदिर, सिंदूरा देवी मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, संतोषी माता मंदिर, श्रीसिद्धबली बाबा मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, गीता भवन मंदिर, बालाजी मंदिर, दुगड्डा स्थित दुर्गा देवी मंदिर आदि कोटद्वार (Durga Devi Temple Kotdwar) शहर के प्रमुख मंदिर है।
Tarkeshwar Mahadev Temple
दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार कैसे पहुंचे (How to reach Durga Devi Temple Kotdwar)
मेरठ-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 119 (534) पर कोटद्वार शहर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां दुर्गा का सुंदर मंदिर स्थित है जो “दुर्गा देवी” के नाम से प्रसिद्ध है। गढ़वाल के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले कोटद्वार शहर से जैसे ही पहाड़ों में प्रवेश करते हैं तो सर्वप्रथम श्री सिद्धबली बाबा मंदिर के दर्शन होते हैं जो की हनुमान जी को समर्पित मंदिर है, और उसके बाद रास्तों में अनेक छोटे-बड़े झरनो के साथ साथ माँ दुर्गा देवी का मंदिर व अन्य छोटे-बड़े मंदिरों के दर्शन होते रहते हैं।
दुर्गा देवी मंदिर (Durga Devi Temple Kotdwar) सड़क मार्ग, रेलवे मार्ग और हवाई मार्ग द्वारा दिल्ली, मुम्बई, कोटद्वार (Kotdwar), हरिद्वार और देहरादून आदि महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है। दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार (Durga Devi Temple Kotdwar) राष्ट्रीय राजमार्ग 534 पर पास में स्थित है।
यह राष्ट्रीय राजमार्ग 534 नजीबाबाद, कोटद्वार, दुगड्डा, पौड़ी गढ़वाल को बद्रीनाथ से जोड़ती हैं। यह कोटद्वार से लगभग 13 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट को की देहरादून में स्थित है यह कोटद्वार से लगभग 104 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।