अरसा (Arsa) उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र एक मीठा पहाड़ी (Traditional Sweet Of Garhwal) व्यंजन है जो शादियों और पारंपरिक समारोहों जैसे विशेष अवसरों पर तैयार किया जाता है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में शादी-विवाह (ब्यो-बारात) के खास मौकों पर कलेऊ (मिठाई ) देने की अनूठी परम्परा है।
कलेऊ (मिठाई देना) में विभिन्न प्रकार की मिठाइयां होती हैं, जिन्हें विदाई के अवसर पर नाते-रिश्तेदारों को दिया जाता है। इनमें सबसे लोकप्रिय है, अरसा। इन्हें कन्या को विदाई में कण्डी भरकर दिया जाता है। जिसे उसके ससुराल में सब जगह बाटा जाता है। जब जब कन्या मायके से वापस ससुराल आती है तो उसे यह कलेऊ (मिठाई) दिया जाता है।
गढ़वाल की पारंपरिक मिठाई अरसा (Arsa A Traditional Sweet Of Garhwal)
अरसा (Arsa) यह उत्तराखंड में लोगों के लिए सबसे अधिक स्वाद वाली मिठाई में से एक है। गढ़वाल की यह स्वादिष्ट (Traditional Sweet Of Garhwal) रेसिपी काले गुड़, चावल और सरसों के तेल जैसी सरल सामग्रियों से तैयार की जाती है। बरसों से पहाड़ के गांव में रहने वाले लोग अपनी बेटियों को ससुराल जाते समय मिठाई (कलेऊ) के रूप मे अरसे, मीठी रोटी, मक्के की रोटी, उड़द के पकोड़े, बाल मिठाई आदि देने के परम्परा हैं।
ये अरसे (Arsa) न केवल एक मिठाई होती है अपितु ये, स्नेह, प्यार का प्रतीक भी होती ह। चावल, भेली (काले गुड़) और सरसों के तेल से तैयार होकर यह अरसे लंबे समय तक खराब भी नहीं होते हैं। खानें में इनका स्वाद आज भी बेजोड़ है।
अरसे (Arsa) को बांटना पहाड़ के लोक में शुभ शगुन माना जाता है। आज भी उत्तराखंड गढ़वाल क्षेत्र के गावं में शादी-विवाह के मौकों पर गावं के सभी लोग एक साथ आकर अरसा बनाने के लिए तैयार रहते है। शादी ब्याह सहित अन्य खुशी के मौके पर भी ये परम्परागत मिठाई बरसों से अब भी उत्तराखंड के गढ़वाल (Garhwal) क्षेत्र के पहाड़ी गावं में बनाई जाती है।
अरसा बनाने के लिए पूरे गाँव की महिलाएँ और पुरुष विवाह से कुछ दिन पहले इक्कठे होते है महिलाएं उलख्यारी मे चावल कुटती है जिसे पिठु कूटना कहा जाता है और पुरुष
ताक (चासनी) बनाकर अरसे बनाते है। इस ताक को बनाने में काफी निपुडता चाहिए। पहले इस मिठाई को ले जाने के लिए रिंगाल का बना हथकंडी बनाया जाता था, जिसमें मालू/तिमला के पत्ते को भिमल/सेब की रस्सी से बांधकर रिश्तेदारों को भेजा जाता था। जो अब महज यादों में ही सिमट कर रह गया है।
भले ही आज लोग मंहगी से मंहगी बंद डिब्बे में मिठाई को एक दूसरे को दे रहे हो, पर बदलते दौर के साथ साथ अब यह शहरों में मिठाई के दुकान में आसानी से उपलब्ध हो रहे है। लेकिन अरसों (Arsa) जो स्वाद, मिठास, पहाड़ के इन अरसों में है वो कही नहीं
गढ़वाल की पारंपरिक मिठाई अरसा : बनाने के लिए सामग्री (A Traditional Sweet Of Garhwal Arsa Ingredients For Making )
- भीगे चावल 250 ग्राम
- गुड़ (काला गुड़) 100 ग्राम
- सौंफ 2/3 चमच
- नारियल का बूरा 2 कप
- पानी 1½ कप
- सरसों के तेल या रिफाइंड
Note : अरसा बनाने के लिए सामग्री आवश्यकतानुसार भी ले सकते है।
अरसा बनाने की विधि (Method Of Preparation For Arsa)
- अरसा (Arsa) बनाने के लिए चावल को 6 घंटे पहले से भिगो दें, तय समय के बाद चावलों को पीस लें। गढ़वाल क्षेत्र में भीगे चावल को ओखल (उरख्याली : यह पत्थर का बना होता है) में बारकी से कूटा जाता है। पिसे/कुट्टे चावल को आटे की तरह साफ छानकर अलग रख लें।
- अब धीमी आंच पर एक गहरा पैन/पतीला को चूलें/गैस में चढ़ाएं और गुड़ की चार से पांच डाल की चासनी बनाएं । गुड़ के इस घोल को अच्छे से पकाएं, ध्यान रखें कि गुड़ जलने न पाए। (अरसा (Arsa) बनाने के लिया काले गुड़ का ही ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है) इससे इसका रंग और स्वाद अच्छा बना रहता है।
- अब गुड़ के घोल में पिसा हुआ चावल का आटा धीरे-धीरे मिलाएं। घोल को एक हाथ से चलाते रहे हैं और साथ में धीरे-धीरे चावल का आटा डालें । उत्तराखंड के पहाड़ी गावं चावल का आटा को गुड़ की चासनी में एक बड़े से बर्तन में डाल कर और लकड़ी के बड़े डंडे से मिलाया जाता है और ध्यान रखें इसमें गुठली नहीं बनाने दिया जाता।और जायका बढ़ाने के लिए इसमें सौंफ, नारियल का बूरा, किशमिश और तिल भी मिलाएं। फिर इसे ठंडा करने के लिए किसी बर्तन में निकालकर अलग रख दें।
- अब धीमी आंच में एक पैन/कड़ाई में तेल (सरसों का तेल ही बेहतर) गर्म करने के लिए रखें। गर्म तेल में ठंडा हो चुके मिश्रण से छोटी—छोटी लोइयां/रोटी के तरह बनाकर तेल में सुनहरा होने तक तलें। जब इनका रंग सुनहरा भूरा हो जाए तो उन्हें तेल से निकाल लें। आपकी स्वीट डिश अरसा (Arsa) तैयार है।